First President of India (Dr. Rajendra Prasad)

(03 Dec.1884 - 28Feb. 1963)

जन्म               : 03 December 1884
जन्म स्थान       : जीरादेई गांव, सीकर जिला (बिहार)
पूरा नाम          : राजेंद्र प्रसाद
अन्य नाम         : राजेंद्र बाबू और देशरत्न
माता               : कमलेश्वरी देवी( धर्म परायण महिला)
पिता               : महादेव सहाय (संस्कृत एवं फारसी के विद्वान)
 पूर्वज             : कुआंगांव, अल्मोड़ा (UP) 
 पार्टी              : भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस(INC-Indian National Congress)
पद                 : भारत के पहले राष्ट्रपति  (स्वतंत्रता के बाद)
धर्म                 : हिंदू 
राष्ट्रीयता          : भारतीय 
भाई-बहन        : 05 (सबसे छोटे राजेंद्र प्रसाद थे)
 मृत्यु              : 28 फरवरी 1963, पटना (बिहार)

 जन्म

राजेंद्र प्रसाद का जन्म बिहार प्रांत के एक छोटे गांव जीरादेई में 3 दिसंबर 1884  एक संयुक्त परिवार में पैदा हुए। राजेंद्र प्रसाद सबसे छोटे थे। इसीलिए सबके चहेते भी थे। उनका लगाओ अपनी माता और अपने बड़े भाई महेंद्र प्रसाद से ज्यादा था बचपन से ही वह काफी शांत और पढ़ाई लिखाई में बहुत अच्छे थे। 

 शिक्षा



  •  05 साल की आयु में एक मौलवी साहब से  फारसी की शिक्षा शुरू की। उनकी प्रारंभिक शिक्षा छपरा स्कूल से हुई। और जब वह 13 वर्ष के हुए, तो उनका विवाह  राजवंशी देवी से किया करवाया गया। उनका वैवाहिक जीवन काफी सुखी रहा। जिस कारण उन्हें अपनी पढ़ाई को जारी रखने में कोई परेशानी नहीं हुई।

  • उन्होंने 13 वर्ष की आयु में ही उन्होंने पटना की थी के घोष एकेडमी से अपनी पढ़ाई जारी रखी।

  • 1902 में जब वह 18 वर्ष के हुए, तो वह छपरा चले गए। वहां से कोलकाता यूनिवर्सिटी की प्रवेश परीक्षा दी। और प्रथम स्थान प्राप्त किया। इसके लिए उन्हें ₹30 की मासिक स्कॉलरशिप भी मिलती थी।

  • उन्होंने कलकत्ता के प्रेसिडेंसी कॉलेज में प्रवेश प्राप्त किया।

  •  पढ़ाई लिखाई में बहुत अच्छे होने के फलस्वरूप एक बार उनके एग्जामिनर ने उनकी एग्जाम शीट को देखकर लिखा "The examinee is better than examiner".

  •  1915 में स्वर्ण पदक के साथ LLM पास की।

  •  बाद में लाॅ क्षेत्र में  डाॅक्ट्रेट की उपाधि ग्रहण की ।

  •  उन्होंने कानून की पढ़ाई का अभ्यास भागलपुर (बिहार) से किया।

  •  अपने अध्ययन काल के दौरान उनके मन में ICS की परीक्षा देने के लिए इंग्लैंड जाने की बहुत इच्छा थी। लेकिन उन्हें डर था, कि उनके परिवार वाले उन्हें इतनी दूर जाने नहीं देंगे। और इस डर से जहाज में खुद के लिए एक सीट बुक करवा ली।और जाने के लिए दो सूट भी सिलवा लिए। पर हुआ वही जिनका उन्हें डर था। उनके पिता जी ने उन्हें जाने से इंकार कर दिया।

 विवाह

इनका  विवाह बाल्यकाल में 13 वर्ष की आयु में कमलेश्वरी देवी से हुआ। इनका वैवाहिक जीवन काफ़ी सुखी रहा।



भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान


  •  राजेंद्र प्रसाद जी का कैरियर वकील के रूप में शुरू हुआ ।

  • 1914 में बिहार और बंगाल में आई बाढ़ में बढ़-चढ़कर सेवा कार्य किया ।

  • सिंध और क्वेटा के भूकंप के समय भी उन्होंने कई राहत शिविर का इंतजाम किया।

  •  1934 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के मुंबई अधिवेशन के अध्यक्ष चुने गए और 1939 में दूसरी बार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष बने क्योंकि सुभाष चंद्र बोस अपने पद से इस्तीफा दे चुके थे ।

  • इनकी प्रतिभा से गोपाल कृष्ण गोखले और बिहार विभूति अनुग्रह नारायण सिंह दोनों काफी प्रभावित हुए। 

 पहनावा

 इनकी वेशभूषा काफी़ सरल थी।

 इनको देखकर पता नहीं लगता था कि वह इतने प्रतिभाशाली और उच्च विचारों वाले व्यक्ति हैं ।

 स्वाभाविकता और सादगी उनके व्यक्तित्व में समाई हुई थी ।

उनके चेहरे पर सदैव मुस्कान बनी रहती थी, जो सभी को मोहित कर देती थी।

 जब इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने उन्हें डॉक्टर ऑफ लॉ की उपाधि दी तो कहा कि "बाबू राजेंद्र प्रसाद ने अपने जीवन में सरल और बिना किसी स्वार्थ के सेवा का उदाहरण प्रस्तुत किया है"।

 सरोजिनी नायडू ने कहा "उनकी असाधारण प्रतिभा उनके स्वभाव का अनोखा माधुर्य उनके चरित्र की विशालता और अति त्याग के गुण ने उन्हें हमारे सभी नेताओं से अधिक व्यापक और लोकप्रिय बना दिया है। गांधीजी के निकटतम  शिष्यों में उनका वही स्थान है, जो ईसा मसीह के निकट सैंट जॉन शिष्य का था।




राजनैतिक क्षेत्र

भारत के स्वतंत्र होने के बाद संविधान लागू हुआ। और वह भारत के पहले राष्ट्रपति बने।

9 दिसंबर 1946 को संविधान सभा की प्रथम बैठक नई दिल्ली स्थित काउंसिल चेंबर में के पुस्तकालय भवन में हुई ।सभा के सबसे बुजुर्ग सदस्य डॉ सच्चिदानंद सिन्हा को सभा का अस्थाई अध्यक्ष चुना गया। मुस्लिम लीग ने इस बैठक का बहिष्कार किया और पाकिस्तान के लिए बिल्कुल अलग संविधान सभा की मांग प्रारंभ कर दी।

 11 दिसंबर 1946 को डॉ राजेंद्र प्रसाद सविधान सभा के स्थाई अध्यक्ष निर्वाचित   हुए ।

संविधान सभा की अंतिम बैठक 24 जनवरी 1950 को हुई और उसी दिन संविधान सभा के द्वारा डॉ राजेंद्र प्रसाद को भारत का प्रथम राष्ट्रपति चुना गया।

संविधान सभा 26 जनवरी 1950 से 1951-1952 में हुए आम चुनावों के बाद बनने वाली नई संसद के निर्माण तक भारत के अंतरिम संसद के रूप में काम किया।

 राष्ट्रपति          : डॉ राजेंद्र प्रसाद 
उपराष्ट्रपति       : सर्वपल्ली राधाकृष्णन 
प्रधानमंत्री        : पंडित जवाहरलाल नेहरू

 भारतीय संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ। और इससे एक दिन पहले इनकी बहन भगवती देवी की मृत्यु हो गई, लेकिन राजेंद्र प्रसाद भारतीय गणराज्य की स्थापना  रस्म के बाद ही दाह संस्कार में गए।

उन्होंने राष्ट्रपति पद पर 12 वर्षों तक कार्य किया।

और 1962 में अपने पद से अवकाश ले लिया। इसके बाद उन्हें "भारत रत्न"( भारत सरकार द्वारा दिया जाने वाला सर्वोच्च सम्मान) से नवाजा गया।

अपने कार्यकाल के दौरान कभी भी अपने संवैधानिक अधिकारों में प्रधानमंत्री और कांग्रेस को दखल का मौका नहीं दिया। हमेशा स्वतंत्र होकर कार्य किया।

14 मई 1962 को जब राजेंद्र प्रसाद ने अपने पद से अवकाश प्राप्त किया। तभी उनकी पत्नी राजवंशी देवी की मृत्यु हो गई और मृत्यु से  एक माह पहले उन्होंने राजेंद्र प्रसाद को पत्र लिखा" मुझे लग रहा है कि मेरा अंतिम समय अब निकट है"। और कुछ ही दिनों बाद उनकी पत्नी की मृत्यु हो गई।

 शिमला की यात्रा

डॉ राजेंद्र प्रसाद ने शिमला के कामना देवी मंदिर के दर्शन पांच  बार किए। कामना देवी मंदिर शिमला में प्रोस्पेक्ट हिल पर है। कमला देवी मंदिर माता काली को समर्पित है।

(Kamna Devi Mandir, Shimla)

                    (Prospect Hill Shimla)

  प्रपौत्र

 राजेंद्र प्रसाद के प्रपत्र अशोक जाह्रवी प्रसाद है जो कि पेशे से एक अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त वैज्ञानिक एवं मनोचिकित्सक हैं।

इन्होंने बाइपोलर डिसऑर्डर की चिकित्सा में लिथियम के सुरक्षित विकल्प के रूप में सोडियम वलप्रोएट की खोज की।

अशोक जी अमेरिकन एकेडमी ऑफ आर्ट एंड साइंस के सदस्य भी है।

 मृत्यु

श्री राजेंद्र प्रसाद जी अपने जीवन के अंतिम दिन बिताने के लिए पटना के निकट सदाकत आश्रम चले गए। जहां उनकी  मृत्यु 28 फरवरी 1963 को पटना के सदाकत आश्रम में हुई।

 पुस्तकें

(1955)




(1946)




  1.  आत्मकथा
  2. इंडिया डिवाइडेड (1946)
  3.  सत्याग्रह इन चंपारण (1922) 
  4. गांधीजी की देन
  5. बापू के कदमों में बाबू (1954)
  6. At the feet of Mahatma Gandhi (1955) 
  7.  The unity of India
  8.  संस्कृत और संस्कृति 
  9. भारतीय संस्कृति व खादी का अर्थशास्त्र

 खास बातें


  • राजेंद्र प्रसाद भारत के एकमात्र ऐसे राष्ट्रपति थे! जिन्होंने दो कार्यकाल(12वर्ष) तक राष्ट्रपति पद पर कार्य किया। (पहला कार्यकाल 1950-1957) (दूसरा कार्यकाल 1957-1962)

  • वह स्वतंत्रता आंदोलन के प्रमुख नेताओं में से एक थे।

  • वह नमक सत्याग्रह (1931) के दौरान जेल गए।

  • भारत छोड़ो आंदोलन (1942) के दौरान भी जेल  गए।














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